The Encyclopedia of Ar-Rahman's Guests

Selected material for Pilgrims and Um-rah teaching it in languages of the world

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Selected Quranic verses

फिर तुम[120] उस जगह से वापस आओ, जहाँ से सब लोग वापस आएँ तथा अल्लाह से क्षमा माँगो। निश्चय अल्लाह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
[सूरह अल-बक़रह] • 199
और जब तुम अपने ह़ज्ज के कार्य पूरे कर लो, तो अल्लाह को याद करो, जैसे अपने बाप-दादा को याद किया करते थे, बल्कि उससे भी बढ़कर याद[121] करो। फिर लोगों में से कोई तो ऐसा है जो कहता है : ऐ हमारे पालनहार! हमें दुनिया में दे दे। और आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं।
[सूरह अल-बक़रह] • 200
निःसंदेह पहला घर जो मानव के लिए बनाया गया, वह वही है जो मक्का में है, जो बरकत वाला तथा समस्त संसार के लिए मार्गदर्शन है।
[सूरह आले इमरान] • 96
क्या तुमने हाजियों को पानी पिलाना और मस्जिद-ए-हराम को आबाद करना, उसके जैसा बना दिया जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान लाया और उसने अल्लाह की राह में जिहाद किया? ये अल्लाह के यहाँ बराबर नहीं हैं तथा अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।
[सूरह अत-तौबा] • 19
और क़ुर्बानी के ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः उनपर अल्लाह का नाम लो, इस हाल में कि घुटना बंधे खड़े हों। फिर जब उनके पहलू धरती से आ लगें[25], तो उनमें से स्वयं खाओ तथा संतोष करने वाले निर्धन और माँगने वाले को भी खिलाओ। इसी प्रकार, हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
[सूरह अल-हज्ज] • 36
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Selected prophetic hadiths

मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब जनाबत का स्नान करते, तो अपने दोनों हाथों को धोते, फिर नमाज़ के वज़ू की तरह वज़ू करते, फिर स्नान करते, फिर अपने हाथ से बालों का ख़िलाल करते, यहाँ तक कि जब निश्चित हो जाते कि त्वचा भीग गई है, तो अपने ऊपर तीन बार पानी बहाते, फिर पूरे शरीर को धोते। वह कहती हैं : मैं और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक ही बरतन से एक साथ हाथ डालकर पानी लेकर स्नान कर लिया करते थे।
सह़ीह़
इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो।" लोगों ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! वह क्या-क्या हैं? आपने फ़रमाया : "अल्लाह का साझी बनाना, जादू, अल्लाह के हराम किए हुए प्राणी को औचित्य ना होने के बावजूद क़त्ल करना, ब्याज खाना, यतीम का माल खाना, युद्ध के मैदान से पीठ दिखाकर भागना और निर्दोष भोली-भाली मोमिन स्त्रियों पर व्यभिचार का आरोप लगाना।"
सह़ीह़
इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब छींकते, तो अपना हाथ या कपड़ा अपने मुँह पर रख लेते और अपनी आवाज़ धीमी (या नीची) रखते।
सह़ीह़
आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जिसने हमारे इस दीन में कोई ऐसी नई चीज़ बनाली, जो उसका हिस्सा नहीं है, तो वह ग्रहणयोग्य नहीं है।" (सहीह बुख़ारी एवं सहीह मुस्लिम) सहीह मुस्लिम की एक रिवायत में है : "जिसने कोई ऐसा कार्य किया, जिसके संबंध में हमारा आदेश नहीं है, तो वह ग्रहणयोग्य नहीं है।"
सह़ीह़
इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जहन्नम को अभिलाषाओं से घेर दिया गया है और जन्नत को अप्रिय चीज़ों से घेर दिया गया है।"
सह़ीह़
इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।
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